Monday, April 30, 2012

भारत में लघु पनबिजली (एसएचपी) को 25 मेगावाट तक मानकीकृत किया गया है। भारत में लगभग 15 हजार मेगावाट की अनुमानित लघु पनबिजली क्षमता है जिसमें से मात्र 20 प्रतिशत का दोहन किया गया है। अत: हमारी बढ़ती हुई मांगों को पूरा करने के लिए निकट भविष्य में इसका अत्यधिक उपयोग किया जा सकता है। प्रस्ताव है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में लघु पनबिजली से 2000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा करने की क्षमता तैयार की जाएगी..

भारत में लघु पनबिजली (एसएचपी) को 25 मेगावाट तक मानकीकृत किया गया है। भारत में लगभग 15 हजार मेगावाट की अनुमानित लघु पनबिजली क्षमता है जिसमें से मात्र 20 प्रतिशत का दोहन किया गया है। अत: हमारी बढ़ती हुई मांगों को पूरा करने के लिए निकट भविष्य में इसका अत्यधिक उपयोग किया जा सकता है। प्रस्ताव है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में लघु पनबिजली से 2000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा करने की क्षमता तैयार की जाएगी।
किसी स्थान की पनबिजली क्षमता पानी के छोड़े जाने और उसके मुहाने पर निर्भर करती है। ये परियोजनाएं नदियों, नहरों और बांधों पर लगाई जा सकती हैं। इन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है – सूक्ष्म पन (100 किलोवाट तक), मिनी पन (101 से 2000 किलोवाट या 2 मेगावाट) और लघु पन (2 मेगावाट से 25 मेगावाट तक)।
जहां एक ओर लघु पनबिजली क्षेत्र में लगभग 3342 मेगावाट क्षमता स्थापित की गई वहां दूसरी ओर 2025 पन चक्कियां/ सूक्ष्म पन-परियोजनाएं भी फरवरी 2012 के अंत तक काम कर रही थीं। आशा है कि 12वीं योजना में लघु पनबिजली क्षेत्र को और बढ़ावा मिलेगा

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