Tuesday, October 30, 2012

निम्नलिखित लेखांशों में से प्रत्येक को पढ़िए और उनके उपरान्त दिए गए प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए. इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल लेखांशों पर ही आधारित होने चाहिए.


निम्नलिखित लेखांशों में से प्रत्येक को पढ़िए और उनके उपरान्त दिए गए प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए. इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल लेखांशों पर ही आधारित होने चाहिए.

लेखांश-I
समावेशी संवृद्धि की प्राप्ति के लिए राज्य की भूमिका पर पुनर्विचार की गंभीर आवश्यकता है. सरकार के आकार के विषय में अर्थशास्त्रियों के बीच हुई आरंभिक बहस भ्रामक हो सकती है. समय की आवश्यकता है कि एक सामर्थ्यकारी सरकार हो. राज्य सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके, यह भारत राष्ट्र के विशाल और जटिल स्वरुप को देखते हुए आसान नहीं है. सरकार सभी अनिवार्य वस्तुओं का उत्पादन करे, सभी आवश्यक नौकरियों का सृजन करे, और सभी वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रखे, ऐसी अपेक्षा विशाल बोझिल नौकरशाही और व्यापक भ्रष्टाचार की ओर ले जाएगी.
लक्ष्य यह होना चाहिए कि राष्ट्र के संस्थापकों ने जिस समावेशी संवृद्धि का उद्देश्य रखा था, हम उसके साथ बने रहें और एक साथ ही इसके प्रति एक अपेक्षाकृत अधिक आधुनिक द्रष्टिकोण अपनाएं कि राज्य यथार्थतः क्या प्रदान कर सकता है.
यही एक सामर्थ्यकारी राज्य के विचार की ओर ले जाता है, अर्थात, एक ऐसी सरकार जो नागरिकों को उनकी आवश्यकता की हर चीज़ की प्रत्यक्षतः पूर्ति करने का प्रयास नहीं करती. बल्कि, (1) वह बाज़ार के लिए एक सामर्थ्यकारी लोकाचार का सृजन करती है ताकि व्यष्टिक उद्यम फल-फूल सके, और नागरिक, अधिकांश भाग के लिए, एक-दूसरे की आवश्यकताओं के लिए प्रावधान कर सकें; और (2) वह ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आती है जो स्वयं अपनी बेहतरी नहीं कर पाते, क्योंकि कैसी भी व्यवस्था क्यों न हो, कुछ लोग हमेशा ऐसे होते हैं जिन्हें सहारे और मदद की आवश्यकता होती है. अतः हमें एक ऐसी सरकार की जरुरत है जो बाज़ार के मामले में प्रभावी, प्रोत्साहन-अनुकूल नियम स्थापित करे और न्यूनतम हस्तक्षेप करती हुई हाशिए पर बनी रहे, और साथ ही साथ, निर्धनों को शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाएं तथा पर्याप्त पोषण और आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए उनकी प्रत्यक्ष सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए.
1. लेखांश के अनुसार :
1. समावेशी संवृद्धि का उद्येश्य राष्ट्र के संस्थापकों द्वारा रखा गया था.
2. समय की आवश्यकता है कि एक सामर्थ्यकारी सरकार हो.
3. सरकार को बाज़ार की प्रक्रियाओं में अधिकतम हस्तक्षेप रखना चाहिए.
4. आवश्यकता है कि सरकार के आकार में परिवर्तन हो.
उपर्युक्त में से कौन-कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

2. लेखांश के अनुसार, निम्नलिखित में से किस एक पर संक्रेंद्रित कर के समावेशी संवृद्धि की कार्यनीति कार्यरूप में परिणत की जा सकती है?
(a) देश के प्रत्येक नागरिक की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर
(b) विनिर्माण क्षेत्र पर विनियमनों को बढ़ा कर
(c) विनिर्मित वस्तुओं के वितरण को नियंत्रित कर
(d) समाज के वंचित वर्गों को बुनियादी सेवाएं प्रदान कर

3. सामर्थ्यकारी सरकार के संघटक क्या हैं?
1. विशाल नौकरशाही.
2. प्रतिनिधियों के माध्यम से कल्याण कार्यक्रमों को लागू करना.
3. ऐसे लोकाचार का सृजन करना जिसमें व्यष्टिक उद्यम को मदद मिले.
4. उन्हें संसाधन उपलब्ध कराना जो अल्पसुविधाप्राप्त हैं.
5. निर्धनों को बुनियादी सेवाओं के सम्बन्ध में सीधे मदद देना.
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 4 और 5
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

4. राज्य क्यों "सभी आवश्यकताओं की पूर्ति" कर सकने में असमर्थ है?
1. उसके पास पर्याप्त नौकरशाही नहीं है.
2. वह समावेशी संवृद्धि को प्रोत्साहित नहीं करता.
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

5. इस लेखांश के लेखक द्वारा व्यक्त सारभूत सन्देश क्या है?
(a) राष्ट्र के संस्थापकों के द्वारा अधिकथित समावेशी संवृद्धि के उद्देश्यों को याद रखना चाहिए.
(b) सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह अधिक स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए.
(c) सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह समाज के निर्धन स्तरों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाज़ार और उद्योग स्थापित करे.
(d) समावेशी संवृद्धि की प्राप्ति के लिए राज्य की भूमिका पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.

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