Friday, March 2, 2012

IAS STUDY CIRCLE (National Current Affairs)

1]सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन...

भारत की महत्वपूर्ण नदियों को जोड़ने संबंधी परियोजना के क्रियन्वयन के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि नदी जोड़ो परियोजना को समयबद्ध तरीके के साथ लागू किया जाए.

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कपाडिया, न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक व न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने 27 फरवरी 2011 को नदियों को जोड़ने संबंधी परियोजना के निर्णय में स्पष्ट किया कि न्यायालय के लिए संभव नहीं है कि वह परियोजना की संभावनाओं व अन्य तकनीकी पहुलुओं पर निर्णय कर पाए. सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के अनुसार यह काम विशेषज्ञों का है, साथ ही यह परियोजना राष्ट्र हित में है, क्योंकि इससे सूखा प्रभावित लोगों को पानी मिलेगा.

इस समिति में जल संसाधन मंत्री, जल संसाधन सचिव, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव के अलावा चार विशेषज्ञ होंगे. चार विशेषज्ञों में जल संसाधन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा योजना आयोग से एक-एक विशेषज्ञ नामित किए जाने हैं. समिति में राज्य सरकार की जल एवं सिंचाई विभाग का भी एक प्रतिनिधि होगा और 2 सामाजिक कार्यकर्ता तथा एक सर्वोच्च न्यायालय के वकील रंजीत कुमार सदस्य होंगे.

सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के निर्णय के अनुसार गठित समिति नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन की संभावनाओं पर विचार करेगी और उसे लागू करेगी. इस समिति को कम से कम दो माह में एक बैठक जरूर करनी पड़ेगी. किसी सदस्य के अनुपस्थित रहने पर बैठक निरस्त नहीं की जा सकेगी. समिति को साल में दो बार कैबिनेट को रिपोर्ट सौंपनी पड़ेगी. और कैबिनेट उस रिपोर्ट पर जल्दी से जल्दी (अधिकतम 30 दिनों में) निर्णय लेगी.
अक्टूबर 2002 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार ने सूखे व बाढ़ की समस्या से छुटकारे के लिए भारत की महत्वपूर्ण नदियों को जोड़ने संबंधी परियोजना को लागू करने का प्रस्ताव लाई थी.

2]पीएमईएसी द्वारा वित्त वर्ष 2012-13 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.5 से 8 प्रतिशत रहने का अनुमान...

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने वित्त वर्ष 2012-13 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान 7.5 से 8 प्रतिशत का लगाया है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PMEAC: Prime Minister's Economic Advisory Council, पीएमईएसी) ने अर्थव्यवस्था की समीक्षा करते हुए 22 फरवरी 2012 को केंद्र सरकार को राजकोषीय स्थिति मजबूत बनाने के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी पर अंकुश लगाने की सलाह दी.
अर्थव्यवस्था की समीक्षा में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने वित्त वर्ष 2011-12 में कृषि क्षेत्र के विकास दर का अनुमान तीन प्रतिशत लगाया. जबकि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के पूर्वानुमानों में कृषि विकास दर 2.5 प्रतिशत रखी गई थी. परिषद के अध्यक्ष डॉ सी रंगराजन के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 में महंगाई की दर भी नीचे बनी रह सकती है. परिषद द्वारा जारी वर्ष 2011-12 की आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा 4.6 प्रतिशत के बजट अनुमान से अधिक रहने का अनुमान लगाया गया.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने वित्त वर्ष 2012-13 में महंगाई की दर पांच से छह प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया. हालांकि परिषद ने केंद्र सरकार को खाद्य पदार्थों के दाम पर सख्त निगरानी रखे जाने की सलाह दी. सुझाव में परिषद ने बताया कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ खाद्यान्नों, फल, सब्जियों और दुग्ध उत्पादों की आसान आपूर्ति के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा खड़ा करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. कोयला उत्पादन घटने, लौह अयस्क उत्पादन पर प्रतिबंध व प्राकृतिक गैस उत्पादन में कमी और कच्चे तेल का उत्पादन घटने से खान एवं उत्खनन क्षेत्र में वर्ष 2011-12 के दौरान गिरावट का रुख रहने का अनुमान जारी किया गया.
डॉ सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने सब्सिडी के क्षेत्र में सुधारों पर सुझाव देते हुए बताया कि डीजल मूल्य को चरणबद्ध ढंग से नियंत्रणमुक्त करने और एलपीजी व केरोसीन के मामले में भी विभिन्न रिपोर्टों में दिए गए सुझाव पर बातचीत आगे बढ़नी चाहिए. साथ ही उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के क्षेत्र में सुधारों पर आगे बढ़ना चाहिए.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PMEAC: Prime Minister's Economic Advisory Council, पीएमईएसी) ने वित्त वर्ष 2011-12 में 6.9 प्रतिशत जीडीपी विकास दर के अनुमान में वृद्धि करते हुए विकास दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया. परिषद ने जुलाई, 2011 में 8.2 प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया था.
3]भारत में प्रथम बार राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी, जनवरी में महंगाई दर 7.65 प्रतिशत...

केंद्र सरकार ने भारत में प्रथम बार राष्ट्रीय स्तर पर खुदरा कीमत आधारित महंगाई के आंकड़े 21 फरवरी 2012 को जारी किए. खुदरा कीमत आधारित महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, Consumer price inflation, सीपीआइ) के अनुसार जनवरी 2012 में महंगाई दर 7.65 प्रतिशत रही, जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर 6.55 प्रतिशत थी. खुदरा कीमत आधारित महंगाई सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया.
सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा भारत के लगभग 600 जिलों के 310 शहरी केंद्रों और 1181 गांवों से विभिन्न उत्पादों की खुदरा कीमतों को जुटाया गया. शहरों के 1114 बाजारों से कीमतें जुटाई गई. इसके आधार पर खुदरा कीमत आधारित महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, Consumer price inflation, सीपीआइ) तैयार किया गया.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार भारत के गांव में अनाज व दूध शहर से महंगे हैं. साथ ही ग्रामीण जनता मोटे अनाजों के लिए शहरों की तुलना में चार गुना ज्यादा कीमत अदा करती हैं. जनवरी 2012 में ग्रामीण इलाकों में अनाजों की खुदरा कीमतों में 3.44 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि शहरों में यह वृद्धि महज 0.79 प्रतिशत की रही. इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में दाल, अंडा, दूध, चीनी, ईंधन वगैरह में महंगाई शहरों के मुकाबले ज्यादा रही. तेल, कपड़े, जूते, सब्जियों में शहरों में ज्यादा महंगाई रही.
खुदरा कीमत आधारित महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, Consumer price inflation, सीपीआइ) की दर जनवरी, 2012 में 7.65 प्रतिशत रही. शहरों में सीपीआइ आधारित महंगाई की दर 8.25 और ग्रामीण इलाकों में 7.38 फीसदी रही. जनवरी 2012 में राज्य स्तर पर मेघालय सबसे महंगा राज्य रहा. दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर केरल रहा.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer price inflation) बनाम थोक मूल्य सूचकांक (wholesale price inflation): विश्व के अधिकतर देशों में खुदरा मूल्य सूचकांक (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) को ही आधार माना जाता है. भारत में लागू मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य उत्पादों का हिस्सा महज 14.3 प्रतिशत है. जबकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में इनकी हिस्सेदारी 45 फीसदी से ज्यादा है. साथ ही थोक मूल्य सूचकांक में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे कई सेवा क्षेत्र शामिल नहीं हैं, जबकि इन पर आम जनता काफी खर्च करती है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में सेवाओं को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है.

4]भेल द्वारा मध्य प्रदेश के बीना में भारत का प्रथम अल्ट्रा हाई वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर कार्यशील

बिजली और भारी उपकरण बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) ने मध्य प्रदेश के बीना में भारत के प्रथम 1200 किलोवॉट के अल्ट्रा हाई वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर को चालू किया. भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL: Bharat Heavy Electricals Limited, भेल) के अनुसार 1200 किलोवॉट के अल्ट्रा हाई वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर को 6 फरवरी 2012 को कार्यशील किया गया.
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) द्वारा अल्ट्रा हाई वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर (UHVAC: Ultra High Voltage Alternating Current) का विकास, विनिर्माण और परीक्षण स्वयं किया गया है. भेल के अनुसार इस प्रणाली के विकास से बिजली उत्पादन केंद्र से दूर स्थित लोड केंद्रों तक बिजली भेजने की दक्षता में सुधार संभव है. ज्ञातव्य हो कि भेल ने इस ट्रांसफॉर्मर के विकास के लिए पावरग्रिड कॉरपोरेशन के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे.

5]44वां भारतीय श्रम सम्मेलन

44वां भारतीय श्रम सम्मेलन भारत की राजधानी नई दिल्ली में 15 फरवरी 2012 को संपन्न हो गया. इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने किया. सम्मेलन में न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार के लिए योग्यता और रोजगार सहित अनेक सामयिक और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई. सम्मेलन के उद्घाटन में प्रधानमंत्री ने कहा है कि मजबूत औद्योगिक संबंधों के बिना तेज गति से समावेशी वृद्धि और आधुनिक औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते.
उन्होंने कहा कि नौ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य हासिल करने के लिए श्रमिकों, मालिकों और सरकार, सबको मिलकर प्रयास करना होगा. उन्होंने श्रमिकों, विशेषकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण और खुशहाली के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई. डॉ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत अब असंगठित क्षेत्र में गरीबी की रेखा से नीचे के ढ़ाई करोड़ से अधिक परिवार शामिल हो गए हैं. इस योजना के तहत निर्माण श्रमिकों, रेहड़ी वालों, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से लाभ उठाने वालों, बीड़ी मजदूरों और घरों में काम करने वालों को भी लाभ दिया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मनरेगा ने गांवों से काम की तलाश में लोगों का पलायन रोका है और ग्रामीण मजदूरों की मजदूरी में भी सुधार किया है. उन्होंने नियामक ढांचे की बारीकी से पड़ताल करने पर जोर दिया ताकि यह देखा जा सके कि ये ढांचा श्रमिक कल्याण में उल्लेखनीय योगदान करने के बजाय कहीं रोजगार और उद्योग की वृद्धि में बाधक तो नहीं हो रहा.
भारत सरकार ने कौशल विकास मिशन शुरू किया है जिसका उद्देश्य सरकारी और निजी भागीदारी के जरिए प्रशिक्षित श्रमिकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ाना है.

6]केरल के वायनाड जिले के अंबुकुती की पहाड़ियों में प्राचीन ब्राह्मी लिपि का शिलालेख

केरल के वायनाड जिले के अंबुकुती की पहाड़ियों में प्राचीन ब्राह्मी लिपि का शिलालेख मिला. प्राचीन ब्राह्मी लिपि के शिलालेख की खोज कालीकट विश्वविद्यालय में पुरालेख के एक पूर्व प्रोफेसर डॉ. एमआर राघव वारियर ने की. डॉ. एमआर राघव वारियर खोजी गए शिलालेख को श्री वाझुमी के रूप में पढ़ा था. वाझुमी संस्कृत अक्षर का तमिल नाम है.

प्रोफेसर डॉ. एमआर राघव वारियर के अनुसार प्राचीन ब्राह्मी लिपि का शिलालेख एदक्कल शैली जैसा है. शिलालेख में कुछ मानव आकृतियां भी उकेरी हुई हैं. डॉ. एमआर राघव वारियर ने मानव आकृतियों को उत्पत्ति का सूचक बताया. उनके अनुसार कुल मिलाकर पूरा लेख संस्कृत तथा द्रविड़ भाषा एवं लिपि का समन्वय है. एदक्कल का यह शिलालेख परंपरा तथा दक्षिण भारत की ब्राह्मी लिखावट के बारे में जानकारी देता है.
7]भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने 21 अक्टूबर 2011 को भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 जारी किया. भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 (India Human Development Report 2011) के अनुसार वर्ष 2001 में साक्षरता दर 64.8 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2011 में साक्षरता दर 74 प्रतिशत तक हो गई.
भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 के अनुसार शिक्षा व साक्षरता की दिशा में सुधार के बावजूद विश्व की एक तिहाई अशिक्षित जनसंख्या भारत में है. इनमें भी अनुसूचित जाति, जनजाति और मुसलमानों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है. अनुसूचित जाति और जनजाति की आधे से अधिक महिलाएं अब भी निरक्षर हैं.
शिक्षा के मामले में भारत में मुसलमानों की साक्षरता दर सबसे नीचे है. उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में सात साल से अधिक आयु वर्ग की देश की कुल मुस्लिम आबादी का 46 प्रतिशत हिस्सा रहता है. जबकि मुस्लिमों समुदाय के कुल निरक्षरों में से 58 फीसदी इन्हीं राज्यों में हैं. लगभग 20 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 19.2 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 14.8 और बिहार में 13.4 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.
अनुसूचित जाति की कुल आबादी का 46 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में रहता है. राजस्थान, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी की 48 प्रतिशत रहती है. जबकि इस समुदाय के कुल अशिक्षितों में से 55 प्रतिशत इन्हीं राज्यों में हैं.
भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 (India Human Development Report 2011) के अनुसार भारत में मानव विकास की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. वर्ष 2000 के मुकाबले वर्ष 2008 में इसमें 21 फीसदी की बेहतरी दर्ज की गई. मानव विकास सूची में केरल सबसे ऊपर है, जबकि छत्तीसगढ़ सबसे निचले पायदान पर है.
जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2007-08 में मानव विकास दर बढ़कर 0.467 हो गई. जबकि वर्ष 1999-2000 के दौरान यह 0.387 ही थी. यानी 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001-2011 के दौरान सबसे तेज विकास शिक्षा के क्षेत्र में हुआ. यह सुधार 28.5 फीसदी रहा. लोगों की आय में भी इस दौरान 21.5 फीसदी की वृद्धि हुई.
भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 (India Human Development Report 2011) के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास बहुत धीमा हुआ. इस क्षेत्र में विकास दर सिर्फ 13.2 फीसदी ही हुआ. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अच्छी विकास दर गोवा ने हासिल की. यहां यह दर 79 फीसदी रही, लेकिन दूसरे नंबर पर रहने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में यह दर सिर्फ 22 फीसदी थी. स्वास्थ्य के पैमाने पर सबसे कम विकास दिल्ली में हुआ. यह सिर्फ चार फीसदी रहा. रिपोर्ट के अनुसार भारत में दस हजार लोगों पर अस्पताल के सिर्फ नौ बिस्तर उपलब्ध हैं. इसी तरह प्रति दस हजार आबादी पर सिर्फ छह डॉक्टर उपलब्ध हैं.
भारत मानव विकास रिपोर्ट 2011 (India Human Development Report 2011) के अनुसार आधारभूत संरचना के क्षेत्र में केरल, दिल्ली और गोवा जैसे राज्यों ने ढांचागत सुविधाओं की मदद से चौमुखी विकास किया है, वहीं बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ढांचागत सुविधाओं की कमी के कारण अभी भी गरीब बने हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार केरल ने राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक सड़कें बनाई हैं. वर्ष 2004 के आंकड़ों के आधार पर केरल में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर 369 किमी. सड़कें थीं, जबकि सड़कों का राष्ट्रीय औसत प्रति 100 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर 80 किमी का है. सड़क निर्माण के मामले में सबसे आगे रहने वाला केरल विकास के मामले में अन्य राज्यों से आगे है.
बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के निर्धारित लक्ष्य तक को पूरा नहीं किया गया. बिहार, झारखंड उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में प्रति दस लाख की आबादी पर 25.9 किमी के राष्ट्रीय औसत से भी कम सड़कें बनी हैं. हालांकि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे घनी आबादी राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक सड़कें बनी हैं.
ज्ञातव्य हो कि एदक्कल की गुफाएं समृद्ध शिला कला एवं लेखों के लिए प्रसिद्ध हैं. हालांकि इससे पूर्व पाए गए शिलालेखों में शासकों और नायकों के नाम पाए गए थे. परन्तु इस शिलालेख में किसी देवता का नाम है. एदक्कल के तमिल ब्राह्मी लेख का सर्वप्रथम खोज व वर्णन 1901 में पूर्ववर्ती मालाबार जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एफएफ फावसेट ने भारत सरकार के प्रकाशन इंडियन एंटीक्वीटी में किया था. एफएफ फावसेट ने गुफाओं के भीतर उत्खनन कार्य किया था. 1984 में केरल के पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को अपने अधिकार में लेकर इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया था.

8] रेलवे के आधुनिकीकरण हेतु सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति

रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन 21 सितंबर 2011 को किया. सात सदस्यीय इस समिति का काम भारतीय रेलवे को विकसित करने के साथ-साथ उसे आकर्षक व तेज बनाना है.
भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति में एचडीएफसी बैंक के अध्यक्ष दीपक पारेख, भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष एमएस वर्मा, फीडबैक इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज के अध्यक्ष विनायक चटर्जी, आइआइएम अहमदाबाद के प्रोफेसर जी रघुराम और रेलवे बोर्ड में सलाहकार (इंफ्रास्ट्रक्चर) रंजन जैन हैं. रंजन जैन को समिति का सचिव बनाया गया.
सात सदस्यीय समिति भारतीय रेलवे के लिए निम्न मसलों पर सुझाव देना है:
• रेलवे ट्रैक को सुरक्षित, मजबूत बनाने के साथ ही उसे माल व यात्री ढोने में सक्षम बनाना
• सभी ट्रेनों में आधुनिकतम इलेक्ट्रानिक कैब सिग्नलिंग का इंतजाम करना
• नई तकनीक के सुरक्षित और तेज यात्री डिब्बों और वैगनों का स्वदेश में उत्पादन बढ़ाना
• स्टेशनों और टर्मिनलों के आधुनिकीकरण एवं उन्नयन
• ट्रेन संचालन एवं यात्री व माल सेवाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकतम इस्तेमाल कैसे हो
• परियोजनाओं की मंजूरी में किस तरह से तेजी लाई जाए जिससे वे समय पर पूरी हों
• परियोजनाओं के लिए पूंजी का इंतजाम कैसे और कहां से होगा तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी किस तरह तेज की जा सकती है

9] साक्षर भारत यात्रा

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने राष्ट्रपति भवन से साक्षर भारत यात्रा की शुरुआत 18 फरवरी 2012 को की. यह यात्रा देश भर में 22 राज्यों, 180 जिलों, एक हजार ब्लॉकों, 16 हजार से अधिक पंचायतों से गुजरेगी.
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन, साक्षर भारत कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए भारत ज्ञान विज्ञान समिति (गैर-सरकारी संगठन) के साथ सहयोग करते हुए फरवरी-मार्च 2012 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चला रहा है. साक्षर भारत यात्रा का उद्देश्य...
• साक्षर भारत कार्यक्रम के प्रति समस्त देश का ध्यान आकर्षित करना.
• साक्षरता तथा जीवन में शिक्षा की आवश्यकता तथा महत्व के प्रति जनमत और उत्साह बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाना.
• साक्षरता तथा आजीवन शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोक मानस का ध्यान पुन: केन्द्रित करना.
• देश में आजीवन शिक्षा कार्यक्रम के आधार के तौर पर प्रमुख ग्रामीण पठन तथा पुस्तकालयों के लिए मांग सृजित करना.
• साक्षर भारत कार्यक्रम के प्रभावशाली अमल के लिए विभिन्न स्तरों पर संसाधन सहायता समूहों का गठन करना.

10]पांच हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में सभी बैंकों को सितंबर 2012 तक शाखाएं खोलने का निर्देश

बैंकिंग सुविधाओं से वंचित पांच हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में निजी सहित सभी बैंकों को केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2012 तक शाखाएं खोलने का निर्देश दिया गया. वित्त मंत्रालय का यह दिशा-निर्देश 7 नवंबर 2011 को जारी किया गया.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 18 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में ऐसे 296 जिलों की पहचान की है जिनमें बैंकिंग सुविधाओं की कमी है. इन 296 जिलों में बैंकिंग सुविधाओं से वंचित पांच हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में नई बैंक शाखा खोलने में कर्मचारी की संख्या कम रखने की छूट दी गई है. वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देश के अनुसार एटीएम सुविधा के साथ कम से कम दो कर्मचारी जरूरी हैं.

ज्ञातव्य हो कि वित्तीय समावेशी योजना के तहत मार्च 2012 तक देश के 2000 से अधिक आबादी वाले गांवों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. केंद्र सरकार द्वारा ऐसे 73000 गांवों की पहचान की गई है. आंकड़ों के अनुसार भारत के छह लाख गांवों में से केवल पांच फीसदी गांवों में ही बैंक शाखाएं हैं.

जून 2011 तक बैंकों ने एक लाख सात हजार गांवों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ दिया था, जबकि मार्च 2010 तक इनकी संख्या 54258 थी. इनमें से 22870 गांवों को पक्की शाखाओं के जरिए जोड़ा गया. जबकि 84274 गांवों के लिए बैंकिंग सहयोगी के जरिए बैंकिंग सेवाएं पहुंचाई गई. 460 गांव ऐसे भी हैं जहां चलते फिरते वाहनों और दूसरे उपायों के जरिए बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.

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